21 Part
315 times read
20 Liked
ये सरासर ग़लती की है, जो आपने रौशनी की है। लगाके दिल तुझसे सबने, मेरी तरहा शायरी की है। आबशार की हयात तुमने, तुमने फिर तिश्नगी की है। हौले से मुस्कुराकर ...